जानें कैसे पथरी को निकालने में मददगार है
पत्थररचट्टा
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पत्थरचट्टा से पथरी के
निकालने की विधि आयुर्वेद में भी है वर्णित।
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यह किडनी स्टोन और
प्रोस्टेट गंथि से जुड़े रोगों में है फायदेमंद।
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इसके 4-5 पत्तों को सुबह शाम जूस
के रूप में पीना फायदेमंद।
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इस दौरान धूम्रपान और
तंबाकू के सेवन से बिलकुल परहेज करें।
पथरी ऐसी समस्या
है जो बहुत ही कष्टदायी है। लोग इससे निजात पाने के लिए सर्जरी भी करवाते हैं।
लेकिन कई तरीके ऐसे भी हैं जिनमें बिना सर्जरी के भी पथरी को आसानी से शरीर से
निकाला जा सकता है। पत्थरचट्टा भी उन तरीकों में से एक है। आयुर्वेद में
पत्थरचट्टे के पौधे को किडनी स्टोन और प्रोस्टेट ग्रंथि से जुड़े रोगों के इलाज
में उपयोगी माना गया है। इसे पर्णबीज भी कहते हैं। इसके पत्ते को मिट्टी में गाड़
देने से ही यह उस स्थान पर उग जाता है। तासीर में सामान्य होने की वजह से इसका
प्रयोग किसी भी मौसम में कर सकते हैं। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। इसके बारे
में विस्तार से इस लेख में जानते हैं।
पथरी के लिए
फायदेमंद
पत्थरचट्टा के
प्रयोग से पथरी आसानी से बाहर आ जाती है।
महिलाओं में वाइट डिस्चार्ज, पेशाब में जलन व
पुरुषों में प्रोस्टेट की समस्या में भी यह बहुत ही लाभकारी है। इसके सेवन से 10-15 एमएम तक की पथरी पेशाब के जरिए बाहर निकल जाती है।
पत्थरचट्टा (Patharchatta) एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, पत्थरचट्टा का वैज्ञानिक नाम
ब्रायोफिलम पिनाटा (Bryophyllum pinnatum) है। आमतौर पर पथरचटा को अन्य नामों
जैसे कि मिरेकल लीफ (Miracle Leaf), एयर प्लांट (air
plant), कैथेड्रल
वेल (cathedral bells), लीफ आफ लाइफ (leaf of life) और गोएथे पौधे (Goethe
plant) के
रूप मे जाना जाता है। यह एक लोकप्रिय घरेलू पौधा है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों
में प्राकृतिक रूप से होता है। यह क्रसुलाकेआ (Crassulaceae) परिवार से संबंधित है। पथरचटा के
फायदे बहुत से घरेलू उपचारों के लिए उपयोग किये जाते है। पथरचटा के गुण पथरी हटाने, रक्तचाप, सिरदर्द, अस्थमा, मूत्ररोग आदि को ठीक करने के लिए जाने
जाते है। आइये जाने पत्थरचट्टा के फायदे और पत्थरचट्टा के नुकसान (Patharchatta
ke fayde aur Nuksan) के बारे में।
एयर प्लांट एक लंबा, सीधा और बारहमासी पौधा होता है जो
लगभग 1-2 मीटर तक लंबा होता है। यह एक जड़ी बूटी है जो आमतौर पर
भारत के सभी घरों में घरेलू पौधे के रूप में मौजूद रहता है। इसके पत्ते विभिन्न
औषधीय उपयोग के लिए जाने जाते हैं। इस पौधे के तने खोखले होते हैं जिनका रंग हरा
या लाल होता है। इस पौधे की छाल मोटी, चमकदार और रसीली होती है।
इसकी पत्तियां 5-25 सेमी. लंबी और 2-12 सेमी. चौड़ी होती है। इस पौधे की
शाखाओं में 6-7 पत्ते होते हैं। इसकी एक विशेषता यह है कि इसके पत्ते
गीली जमीन पर अलग से नये पौधे को जन्म दे सकती हैं। इसके फूलों का रंग हरा-पीला
या गुलाबी हो सकता है। ये फूल सर्दी और बसंत के मौसम में फूलते हैं। इसके फल झिल्लीदार
आवरण से ढके रहते हैं, जिनमें चार भाग होते हैं, ये बीज आकार में छोटे होते हैं जो फूल
के आंतरिक भाग में लगे होते हैं। इस पौधे का प्रजनन पत्तियों या बीज से होता है।
पत्थरचट्टा के पोषक तत्व – Patharchatta
Nutrition Value in Hindi
इस घरेलू पौधे के पौधे का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में
उपयोग किया जाता है। पथरचटा में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटीमिक्राबियल, एंटीफंगल, एंटीहिस्टामाइन और एनाफिलेक्टिक गुण
होते हैं जो कि लगभग सभी प्रकार की बीमारियों को कम करने में मदद करते हैं।
पत्थरचट्टा के फायदे – Patharchatta Ke Fayde
in Hindi
पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा और एंटीवायरल गुणों के कारण
पत्थरचट्टा के फायदे सूजन को कम करने, मासिक धर्म की ऐंठन को रोकने, घावों को भरने, गुर्दे की पथरी को हटाने, आंखों के दर्द को दूर करने, पाचन, दस्त आदि समस्यओं को दूर करने में
मदद करता है। अगर आप पत्थरचट्टा के फायदे नहीं जानते हैं, तो यह लेख पत्थरचट्टा के फायदे जानने
में आपकी मदद करेगा।
गुर्दे की पथरी के लिए पत्थरचट्टा के फायदे – Miracle
Leaf for Kidney Stones in Hindi
जिन लोगों को गुर्दे की पथरी की समस्या होती है, उनके लिए पत्थरचट्टा के फायदे इसलिए
हैं क्योंकि यह आसानी से पित्त पत्थर (bile stone) को ठीक कर सकता है। गुर्दे के पत्थरों
के मामले में पत्थरचट्टा के पूरे पौधे को उबालकर 40-50 मिली लीटर काढ़ा तैयार करें जिसे दिन
में दो बार सेवन करें। आप 5 ग्राम शिलाजीत के साथ 2 ग्राम पथरचटा के काढ़ें (Decoction)
को भी दे सकते हैं आप इसे
स्वादिष्ट बनाने के लिए शहद भी मिला सकते हैं। इस मिश्रण को भी दिन में दो बार
तक सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से आप पथरी की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
फोड़ों के इलाज में पत्थरचट्टा के पत्तों के फायदे – Leaf
of Life for Treating boils in Hindi
इस आयुर्वेदिक औषधी पथरचटा के फायदे फोड़ों का उपचार करने
के लिए चमत्कारिक है। पत्थरचट्टा के पत्तों को तोड़कर इन्हें हल्का गर्म करने
के बाद फोड़े और सूजन वाली जगह पर रखकर बांधलें। यह आपकी सूजन को कम करने के साथ
ही फोड़ों का उपचार करने में मदद करता है।
पथरचटा के गुण योनि समस्याओं के लिए – Patharchatta
ke fayde for Vaginal problems in Hindi
अगर महिलाओं को योनि स्राव का अनुभव होता है तो तुरंत राहत
पाने के लिए आप पत्थरचट्टा के पत्तों का उपयोग कर सकतीं हैं। इसके लिए आपको
पत्थरचट्टा के पत्तों का 40-60 मिली ग्राम काढ़े (Decoction) के साथ 2 ग्राम शहद को मिलाकर सेवन करें। इस
मिश्रण का उपयोग आपको दिन में दो बार करना चाहिए।
सिर दर्द के लिए पत्थरचट्टा के लाभ – Patharchatta
for Treats Headache in Hindi
एयर प्लांट या पत्थरचट्टा के फायदे उन लोगों के लिए भी
होते हैं जो अक्सर सिरदर्द की समस्याओं से ग्रसित रहते हैं। पथरचटा की पत्तियों
से आप अपने सिरदर्द का उपचार कर सकते हैं। इस पौधे की पत्तियों को तोड़ें और उन्हें
माथे पर चिपकाएं। यह आपके लिए किसी दवा से कम नहीं है। ऐसा करने से आपको सिरदर्द
से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
पत्थरचट्टा का पेड़ घावों को ठीक करे – Patharchatta
ke fayde for Wounds in Hindi
यदि आपके शरीर के किसी भी अंग में कोई घाव है तो आप पत्थरचट्टा
का उपयोग करके इन घावों का उपचार कर सकते हैं। आप इसकी पत्तियों को तोड़कर इन्हें
पीस लें और हल्की आंच में गर्म करें। फिर इस मिश्रण को फोड़ों के ऊपर लगाएं। यह
जड़ी बूटी घावों को ठीक करने के साथ साथ उनके निशानों को भी दूर करने में आपकी मदद
करेगी।
पत्थरचट्टा का उपयोग खूनी दस्त मे – Patharchatta
Treat Bleeding Diarrhea in Hindi
ब्रायोफिलम पिनाटम (पत्थरचट्टा का पेड़) का उपयोग कर आप दस्त
के साथ आने वाले खून को रोक सकते हैं। यह पत्थरचट्टा के फायदों में से एक है। आप
पत्थरचट्टा का पेड़ की पत्तियों के 3-6 ग्राम जूस के साथ जीरा और घी मिलाकर
रोगी को रोजाना दो बार पिलाएं। यह दस्त के साथ आने वाले खून को रोकने में मदद
करता है।
हृदय स्वास्थ्य के लिए पथरचटा का इस्तेमाल – Patharchatta
Helps Heart health in Hindi
इस आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के फायदे दिल को स्वस्थ्य रखने
के लिए भी जाने जाते है। यह आपके शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग दिल को सुरक्षित
रखने में मदद करता है।
मूत्र संबंधी विकारों के लिए पत्थरचट्टा के फायदे – Patharchatta
Useful for Urinary problems in Hindi
प्यास और मूत्र (thirst and urine) से संबंधित परेशानियों को दूर करने
के लिए पथरचटा के पत्तों का 5 मिली लीटर रस दें। यह इस समस्या का प्रभावी रूप से इलाज
करने में मदद करता है। पुरुषों में मूत्र संबंधी विकार के मामले में पत्थरचट्टा
के 40 – 60 ग्राम काढ़ें के साथ 2 ग्राम शहद मिला कर सेवन करना चाहिए।
ऐसी स्थिति में इस मिश्रण को दिन में दो बार लेना चाहिए।
दांत दर्द के लिए पत्थरचट्टा का उपयोग – Patharchatta
Ka Upyog for Toothache in Hindi
दांतों के दर्द को ठीक करने के लिए पत्थरचट्टा को पारंपरिक
दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। पत्थरचट्टा में एंटी-वायरस और एंटी-बैक्टीरिया
(anti-bacterial) गुण होते हैं जो आपके दांतों के दर्द को दूर करने में मदद करते हैं।
पत्थरचट्टा के घरेलू उपयोग बुखार के लिए – Patharchatta
ke fayde for Fever in Hindi
पत्थरचट्टा के एंटीप्रियेटिक (Antipyretic)
गुणों के कारण यह बुखार
का इलाज करने में मदद करता है। बुखार एक शर्त के साथ शारीरिक तापमान 38 डिग्री सेल्सियस के ऊपर होने पर होता
है। यह वायरस और बैक्टीरिया के विरूध शरीर की रक्षा करता है। इन पत्तियों के रस
का सेवन करने से बुखार को कम किया जा सकता है।
गर्भावस्था में पत्थरचट्टा के फायदे – Patharchatta
Benefits for Pregnancy in Hindi
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि पत्थरचट्टा के पत्ते
गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद होते हैं। जानवरों पर किये गए अध्ययन से यह
साबित होता है कि यह गर्भावस्था के समय इन पत्तियों का काढ़ा पीने से यह वजन को
बढ़ने से रोकता है और मां और उसक भ्रूण को कोई भी नुकसान नही पहुंचाता है।
गर्भावस्था के समय महिलाओं द्वारा इन पत्तियों के रस का सेवन करने से नींद संबंधी
समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।
पत्थरचट्टा के गुण बालों के लिए लाभकारी – Patharchatta
Ke Gun for Hair in Hindi
कुछ लोगों का मानना है कि पत्थरचट्टा के फायदे बालों को स्वस्थ्य
बनाते हैं और उन्हें प्राकृतिक रंग दिलाने में मदद करते हैं। हालाकि इसके अभी तक
कोई भी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं की गई है। फिर भी कुछ लोगों का दावा है कि इस पौधे
की पत्तियों के रस का उपयोग बालों पर करने से यह उन्हें भूरे रंग से छुटकारा
दिलाने में मदद कर सकता है। आप भी इस आयुर्वेदिक औषधी का उपयोग कर लाभ प्राप्त कर
सकते हैं।
अस्थमा के लिए पत्थरचट्टा के फायदे – Miracle
Leaf for Asthma in Hindi
कई पशु अध्ययनों से पता चलता है कि पत्थरचट्टा में
एंटी-अस्थमा गुण होते हैं। पत्थरचट्टा में एंटीमाइक्रोबायल एजेंट होते हैं जो
अस्थमा के इलाज में मदद करते हैं। यदि आप अस्थमा रोग से परेशान हैं तो आप पत्थरचट्टा
का उपयोग कर सकते हैं, यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
मधुमेह के लिए पत्थरचट्टा के पत्तों के फायदे – Patharchatta
Helpful for Diabetics in Hindi
ब्रायोफिलम पिनाटम (Bryophyllum pinnatum) की पत्तियों का उपयोग कर आप मधुमेह को
नियंत्रित कर सकते हैं। मधुमेह रोगी को प्रतिदिन दो बार पत्थरचट्टा के पत्तों के
काढ़े का सेवन करना चाहिए। यह आपके शरीर में रक्तशर्करा के स्तर को कम करने में
मदद करता है।
पत्थरचट्टा के उपयोग कब्ज को दूर करे – Leaf
of Life for Constipation in Hindi
कब्ज को दूर करने के लिए पत्थरचट्टा के पत्तों का उपयोग
बहुत ही फायदेमंद होता है। आप इसके लिए पत्थरचट्टा के सूखे पत्तों की चाय का
सेवन कर सकते हैं। यह आपको कब्ज से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा।
खून को साफ करने में पत्थरचट्टा के फायदे – Patharchatta
for Purifies Blood in Hindi
इस जड़ी बूटी में खून को साफ करने वाले गुण होते हैं, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को
हटाने में मदद करता है। खून मे अशुद्धियां होने के कारण त्वचा संबंधी बहुत सी
परेशानियां हो सकती है। ऐसी परेशानियों से बचने के लिए आप पत्थरचट्टा का उपयोग कर
सकते हैं। यह आपके रक्त को साफ कर आपके शरीर को स्वस्थ्य रखने में मदद करता
है।
पत्थरचट्टा के नुकसान (साइड इफेक्ट्स) – Patharchatta
ke Nuksan (Side effects) in Hindi
ऊपर आपने जाना पत्थरचट्टा के फायदों के बारे में, अभी तक ज्ञात अध्ययनों के आधार पर
पत्थरचट्टा के किसी भी गंभीर नुकसान की जानकारी नहीं है। लेंकिन फिर भी आप किसी
भी प्रकार की चिकित्सकीय दवाओं का सेवन कर रहें हैं मुख्य रूप से एस्प्रिन या
अन्य दवाएं तो हो सकता है ऐसे में पत्थरचट्टा का सेवन करना इन दवाओं के असर को
कम या बढ़ा दे, इसलिए ऐसी किसी भी समस्या से बचने के लिए इलाज के दौरान
या बिना पूर्ण जानकारी के पत्थरचट्टा का सेवन करने से बचें।
पत्थरचटा के फायदे -हिंदी में Patharchatta
Ke Labh or Fayde Hindi Me
पत्थरचटा का पौधा हिमालय के गर्म स्थलों पर पैदा होता है।
वैसे तो सारे भारत में इसका बहुवर्षीय पौधा चट्टानों के बीच की जो दरारें होती हैं, उनमें से इसका तना बाहर निकला दिखाई
पड़ता है। इसके पते मांसल, अंडाकार, 5-6 इंच व्यास के किनारों पर दंत युक्त, ऊपरी सतह पर हरे रंग के और निचली सतह
पर मटमैले, लाल आभा लिए होते हैं।
छोटे-छोटे पुष्प सफेद, गुलाबी या बैंगनी रंग के अप्रैल-मई
महीने में लगते हैं। फल छोटे, नीली आभा लिए व सफेद रंग के होते हैं। वानस्पतिक भेद से निघण्टुरत्नाकर में इसके तीन
भेद किए गए हैं। पहला-पाषणभेद, दूसरा-श्वेत पाषाणभेद और तीसरा-वटपत्री पाषाण भेद। पत्थरचटा
की जड़ लाल रंग की, मोटी व 1-2 इंच लंबी होती है। इसके चारों ओर से
अनेक छोटी-छोटी जड़ें निकलकर फैली होती हैं। जड़ के टुकड़े ही बिकते हैं।
आयुर्वेदिक मतानुसार पत्थरचटा रस में तिक्त, कषाय, गुण में लघु, स्निग्ध, तीक्ष्ण, तासीर में शीतल,विपाक में कटु, वात,पित्त और कफनाशक, शोथ हर और स्तम्भक होता है। यह पथरी, श्वेत प्रदर, मूत्रकृच्छ, मूत्राघात, खांसी, आमातिसार, फेफड़ों के विकार, रक्तस्त्राव, चोट, घाव, सूजन, प्रमेह, वातरक्त, पीलिया उन्माद, रक्त प्रदर, ज्वर, विषनाशक, उदरशूल में गुणकारी है।
यूनानी चिकित्सा पद्धति में पत्थरचटा को दूसरे दर्जे का
गर्म और रुक्ष माना जाता है। यह पथरी, शोथ, शुक्रमेह, पेट दर्द, पाण्डु की उत्तम औषधि है।
वैज्ञानिक मतानुसार पत्थरचटा की रासायनिक संरचना का
विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसकी जड़ में अल्युमिन 73 प्रतिशत, ग्लूकोज़ 51 प्रतिशत, पिच्छिल द्रव्य 21 प्रतिशत, स्टॉर्च 19 प्रतिशत, टेनिक एसिड 14:2 प्रतिशत, खनिज लवणं, गैलिक एसिड, मोम, भस्म सभी 12.87 प्रतिशत (जिसमें कैल्शियम आक्जलेट
सबसे अधिक होता है) मेंमेटार्बिन और सुगंधित द्रव्य भी पाए जाते हैं।
पत्थरचटा के विभिन्न रोगों में प्रयोग और आयुर्वेदिक उपचार Patharchatta Ke Podha Ke
Aushdhiy Gun Aur Gharelu Upchaar
1. सूजन पर पत्थरचटा से ईलाज Swelling
Per Patharchatta Se Ilaaj :
पत्थरचटा को सूजन को ठीक करने वाला भी कहा जाता है | किसी को सुजन की शिकायत हो तो उसे
पत्थरचटा के पत्तों को तवे पर गर्म कर सूजन पर बांधने से आराम मिलेगा।
2. चोट, जख्म और रक्तस्राव में पत्थरचटा से
लाभ Chott, Jakham Aur Bleading Me Patharchatta :
चोट और जकम होने पर पत्थरचटा को इस्तेमाल किया जाता है | पत्थरचटा के पत्ते को पीसकर लुगदी
बांधने से रक्तस्राव रुकेगा और घाव शीघ्र भरेगा। चोट ठीक होने तक इसका प्रयोग
दोहराते रहें।
3. नेत्र पीड़ा, आंखें आने पर पत्थरचटा से उपाय Eye
Pain, Remedies With Eyes On Patharchatta :
आँखों के रोगों में भी यह लाभकारी औषधि है | पत्तों को पीसकर बनी लुगदी आंखें बंद
कर पलकों के ऊपर रखकर पट्टी बांध दें। इससे सूजन, आंखों की पीड़ा दूर होगी।
4. दंत रोगों में पत्थरचटा Dant
Rogo Me Patharchatta :
पत्थरचटा की जड़, अजवायन और माजूफल सम भाग मिलाकर पीस
लें। तैयार चूर्ण को एरण्ड के तेल में मिलाकर मसूड़ों और दांतों पर मलकर पांच मिनट
बाद गुनगुने पानी से गरारे करने से समस्त दंत और मसूड़ों के रोगों में लाभ होता
है।
5. दांत निकलने के कष्ट में पत्थरचटा का
सेवन Teeth Nikalne Ke Kasth Me
Patharchatta :
पत्थरचटा के पत्तों का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर मसूड़ों पर
रोजाना मलते रहने से बच्चों के दांत आसानी से निकल आते हैं और मुंह के छालों की
तकलीफ भी नहीं होती। अतिसार, ज्वर की तकलीफ दूर होती है।
6. रक्त प्रदर में पत्थरचटा का सेवन Raktpradar
me patharchatta ka sevan :
आंवला, नागकेसर और पत्थरचटा की जड़ का चूर्ण समभाग मिलाकर पीस लें।
एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार शहद के साथ सेवन करने से लाभ होगा।
7. पेशाब में जलन के लिए पत्थरचटा Toilet
Me Jalan Ke Liye Patharchatta :
पेशाब की जलन होने पर पत्थरचटा का प्रयोग किया जा सकता है | दूध की लस्सी के साथ पत्थरचटा की जड़
का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सेवन करने से जलन दूर होकर आराम मिलता है।
8. पथरी के लिए पत्थरचटा Pathri
Ke Upchar Ke Liye Patharchatta Prayog Kare
पत्थरचटा के पते, फूल, फल व जड़ सभी सम भाग मिलाकर एक गिलास
पानी में पकाएं। जब आधा पानी रह जाए, तो इसको तीन मात्रा में विभाजित कर
दिन में 3 बार नियमित रूप से कुछ हफ्ते सेवन से पथरी गल जाएगी।
9. पेट दर्द के लिए पत्थरचटा का सेवन Stomach
Pain Ke Liye Patharchatta :
पेट के दर्द में पत्थरचटा का प्रयोग किया जाता है | पेट दर्द की स्थिति में पत्थरचटा के 2-3 पत्तों को हलका नमक लगाकर सेवन कराएं
या पत्तों के एक चम्मच रस में आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण मिलाकर खिलाएं। इससे पेट
दर्द में राहत मिलेगी |
10. खांसी के लिए कारगर पत्थरचटा Cough
Ke Liye Kargaar Patharchatta :
खांसी और कफ जैसी समस्या कि लिए पत्थरचटा उपयोगी होता है | इसके लिए पत्थरचटा के पत्तों और जड़
का समभाग चूर्ण मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार शहद के साथ चटाएं।
11. अतिसार में पत्थरचटा का सेवन Atisaar
Ka ilaj Patharchatta se Kare
अतिसार यानि लूज मोशन के इलाज में पत्थरचटा लाभकारी औषधि है
| इसके
लिए एक कप बकरी के दूध के साथ पत्थरचटा की जड़ के चूर्ण की एक चम्मच मात्रा दिन
में 3 बार सेवन करने से अतिसार में लाभ होगा।
12. रक्तपित्त में पत्थरचटा का सेवन Raktpith
Me Patharchatta Ka Sevan :
पत्थरचटा की जड़ का चूर्ण, नागकेसर के चूर्ण में सम भाग मिलाकर
एक चम्मच की मात्रा में दूब के 2 चम्मच रस के साथ दिन में 3 बार दें।
आधुनिक विज्ञान अब मानने लगा है आयुर्वेद की ताकत को। जी
हां, क्योंकि आयुर्वेद में हर बीमारी का उपचार छिपा हैं। इस लेख
में हम आपको हम पत्थरचट्टा पौधा के उन फायदों के बारे में बता रहे हैं जिस्से
किड़नी खासकर की गाल ब्लैडर की परेशानी को खत्म कर देता है। कई तरह के नामों से इस
पौधे को जाना जाता है। जैसे पणपुट्टी, भष्मपथरी व पाषाणभेद आदि। इस पौधे का
वैज्ञानिक नाम bryophyllum pinnatum है।
दोस्तों पत्थरचट्टा का इस्तेमाल या सेवन करने से किडनी की
पत्थरी और प्रोस्टेट ग्रंथि से संबंधित किसी भी तरह की बीमारी का सटीक रूप से ठीक
हो सकती है।
पत्थरचट्टा के औषधीय गुण – bryophyllum pinnatum
medicinal properties in Hindi
बहुत सारे प्राकृतिक और औषधीय गुणों से भरपूर होता है
पत्थरचट्टा। यही वजह है इसका प्रयोग बाहरी और आंतरिक दोनों तरीकों से किया जाता
है। जैसे यदि शरीर में किसी तरह के बाहरी रोग जैसे घाव, खून का बहना, जलन, फोड़े व फुंसी आदि में बहुत फायदेमंद
होता है ये पत्थरचट्टा। इसके अलावा यदि शरीर में आंतरिक रोग जौसे पेशाब संबंधी रोग, पथरी आदि में भी इसका उपयोग किया जा
सकता है। आयुवेर्दिक सेहत आपको पत्थरचट्टे के फायदों के बारे में बता रही है।
इसका स्वाद कैसा होता है
जब आप पत्थर चट्टा का पौधा खाते हो तो इसका स्वाद नमकीन व
खट्टा होता है। कई बार तो बहुत ही स्वादिष्ट भी लगता है ये पौधा। इस पौधे की तासीर
सामान्य रहती है। जिसके कारण आप इसे किसी भी मौसम में इसका सेवन कर सकते हो।
कैसे उगाया जात है पत्थरचट्टा
बहुत ही आसान सा तरीका है इस पौधे को अपने घर में उगाने का।
यदि आप इसके पत्तों को केवल जमीन में डाल देते हैं तो यह कुछ समय बाद वहां पर उगना
शुरू हो जाएगा।
पत्थरचट्टा का इस्तेमाल किस तरह से करना चाहिए।
आयुर्वेदक में इस पौधे के सेवन का विशेष नियम है। जैसे की
इस पौधे के केवल दो ही पत्तों को तोड़कर और इसे साफ करके इसका सेवन सुबह उठकर खाली
पेट गरम पानी के साथ करना चाहिए। और जब आप एैसा रोज करेंगे तो इससे पथरी
कुछ ही दिनों में पूरी तरह से टूटकर खत्म हो जाएगी।
यदि आप पत्थरचट्टे के पत्तों को बारीक चबा—चबाकर खाते हो या
फिर इसका प्रयोग आप पकौड़ी बनाते समय करके इसका सेवन करते हो तो, ये भी फायदेमंद होता है आपकी सेहत के
लिए।
पत्थरचट्टा से मिलने वाले दूसरे लाभ – Patharchatta
plant health benefits and uses in hindi
पेट दर्द में – Patharchatta in stomach pain
in hindi
यदि आपको पेट में दर्द हो रहा हो तो आप थोड़ा सा पत्थरचट्टा
का रस निकालें और फिर उसमें थोड़ा सा अदरक का चूर्ण यानि की सौंठ को मिला लें और
फिर इसका सेवन करें। एैसा करने से पेट दर्द से राहत मिलती है।
पथरी में परहेज ना खाएं ये आहार
कैसे करें पित्ताशय की पथरी में पत्थरचट्टा का सेवन – Patharchatta
in stone problem in Hindi
जिन लोगों को पित्ताशय में पथरी हो वे पत्थरचट्टा के दस
पत्ते लें और फिर उन्हें कूट पीसकर उसकी लगुदी यानि पेस्ट बना लें। फिर इसमें
अजवायन के दस पत्तों से बने चूर्ण को मिला लें और फिर एक चम्मच गोखरू फिर इसमें
डाल दें। और खाली पेट सुबह कम से कम तीन से चार दिनों तक इसका सेवन करें। इससे
आपको पित्ताशय की पथरी से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन जब आप इस उपाय को करेंगे तो
आपको उल्टिया व दस्त आदि भी लग सकते हैं। आप इस बात की प्रवाह ना करें। इसके अलावा
आपको बता दें की गोखरू आपको आसानी से बाजार में मिल जाएगा।
यदि ये उपाय आप से ना हो तो केवल दिन में कम से कम तीन बार
आप पत्थरचट्टा पौधे के पत्तों का सेवन जरूर करते रहें।
नींबू के छिलके दूर करेगें गठिया की बीमारी
घाव व बहारी चोट लगने पर
यदि किसी कारण से हमें चोट, घाव, फोड़े व फुंसी हो जाए तो आप केवल
पत्थरचट्टे के पत्तों को अच्छे से पीसकर उन जगहों पर लगाएं। इससे ये चीजें आसानी
से ठीक हो जाएंगी। साथ ही आपको राहत भी मिलेगी।
मूत्र मार्ग की पथरी – Patharchatta uses in urine
stone
यदि पेशाब वाले रास्ते में पथरी हो तो आप पथरचट्टा पौधे के
दस पत्ते लें और और इन्हें एक गिलास पानी के साथ मिलाकर रोज इसका सेवन खाली पेट
करें। एैसा यदि आप नियमित करते हो तो महज दस से पंद्रह दिनों में पथरी टूटकर पेशाब
के रास्ते निकल जाएगी।
इसके अलावा यदि मूत्र संबंधी अन्य रोगों को भी कारगर उपचार
करता है पत्थरचट्टा।
पेशाब की जलन – Patharchatta ke fayde peshab
ki jalan mei
यदि आपको पेशाब करते हुए जलन महसूस होती हो। या पुरूषों में
प्रोस्टेट संबंधी समस्या हो अथवा महिलाओं में सफेद परदर की समस्या उन सभी में
पत्थरचट्टा पौधा बहुत ही लाभदायक होता है।
गठिया और ब्लडप्रेशर में
आप पत्थरचट्टे का इस्तेमाल गठिया व ब्लडप्रेशर की समस्या को
दूर करने के लिए भी कर सकते हो। इसका सेवन करना इन रोगों में राहत देता है।
ठंडक देता है
शरीर की गरमी को शांत करके ठंडक पहुंचाने का काम करता है।
ये पौधा। इसके अलावा लीवर और किडनी को भी दुरूस्त बनाता है।
पेट का अल्सर
पेट में छाले की वजह से घाव बनना पेट का अल्सर कहलाता है।
एैसे में आप पत्थरचट्टेक का सेवन जरूर करें।
calluses का उपचार
इस समस्या का भी कारगर उपचार है पत्थरचट्टा।
jhadte balo ka ayurvedic
nuskha
बालों की रूसी
यदि बालों पर रूसी अधिक हो तो आप जरूर पत्थरचट्टे का सेवन
करें। इससे ये समस्या आसानी से दूर हो जाती है।
सिर दर्द
सिर में दर्द हो तो आप इस पौधे के पत्ते का सेवन पानी के
साथ करें।
ear-problem-in-hindi-kan-mei-dard
कान दर्द
यदि कान में दर्द हो तो भी पत्थरचट्टा बहुत ही फायदेमंद
होता है।
पत्थरचट्टा के नुकसान व सावधानियां अथवा परहेज – Patharchatta
ke nuksan aur parhej
अब सभी को पता है कि जब शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़
जाती है तो फिर यह पथरी का रूप धारण कर लेती हैं जिसकी वजह से इंसान को दर्द भी
अधिक होता है। लेकिन पत्थरचट्टा में मौजूद गुण इस कैल्शियम के बढ़े हुए प्रभाव को
कम कर देते हैं।
आपको पता है की ये औषधि बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए पथरी
से ग्रसित लोगों को इसका सेवन तब तक करते रहना है जब तक पथरी पूरी तरह से बाहर ना
निकल जाए।
जब भी आप इसका इस्तेमाल करें तो बिना साफ व धोए हुए फलों का
सेवन ना करें। साथ ही चावलों का भी। ये एक तरह का परहेज भी है।
ब्लड प्रेशर के मरीजों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
आप जब कभी भी पत्थरचट्टा पौधे का सेवन करें तो जरूर इस बात
का ख्याल रखें की इसके सेवन के बाद आप एक घंटे तक कुछ ना खाएं अथवा पीयें। जरूर से
ज्यादा आप इस पौधे का सेवन ना करें।
हमारे शरीर का हर अंग हमारे लिए
महत्वपूर्ण है। जिनमे सबसे महत्वपूर्ण हृदय है। हृदय हमारे शरीर में रक्त संचालन
करने का कार्य करता है। आजकल हर किसी को हृदय संबंधी रोग होना एक आमबात हो गयी है।
हृदयरोगी कई दवाइयां और ईलाज करवाते है। आज हम आपको एक ऐसे इन रोगों का रामबाण
इलाज बताने जा रहे है। पत्थरचट्टा पौधे का नाम तो सुना होगा।
-पत्थरचट्टा
पौधे में फैटी एसिड होते है।
-यह ह्रदय
रोग और दिल संबंधी बीमारियों को जड़ से मिटाने में काफी मददगार साबित होता है।
-हृदय के
मरीजों के लिए यह पौधा किसी वरदान से कम नहीं है। पत्थरचट्टा इस रोग के खतरे को
लगभग 50 प्रतिशत कम कर सकता है।
-इसी तरह
पत्थरचट्टा किडनी में पथरी की समस्याओं को भी दूर करता है।
-इस पौधे
के पत्तों की चार से पांच बूंदे एक गिलास पानी के साथ सेवन करें। थोड़े ही दिनों
में पथरी गलकर बाहर निकल जाती है और दुबारा यह बीमारी नहीं होती है।
Lovenuts Fox पथरी (किडनी / गाल ब्लैडर) का
आयुर्वेदिक उपचार
एक पौधा होता है जिसे हिंदी मे पत्थरचट्टा, पाषाणभेद, पणफुट्टी, भष्मपथरी कहते है, इसका वैज्ञानिक नाम है "bryophyllum
pinnatum"!सेवन
की विधि : दो पत्ते तोड़े, उसको अच्छी तरह पानी से धोने के बाद सुबह सुबह खाली पेट चबा
कर खाले, हलके गरम पानी के साथ !
एक पौधा होता है जिसे हिंदी मे पत्थरचट्टा, पाषाणभेद, पणफुट्टी, भष्मपथरी कहते है, इसका वैज्ञानिक नाम है "bryophyllum
pinnatum"!
सेवन की विधि : दो पत्ते तोड़े, उसको अच्छी तरह पानी से धोने के बाद
सुबह सुबह खाली पेट चबा कर खाले, हलके गरम पानी के साथ !
एक हफ्ते के अन्दर पथरी विघटित हो कर शरीर से निकल जाएगी
सबसे पहले कुछ परहेज !
मित्रो जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं !
(काफी लोग पान मे डाल कर खा जाते हैं )
क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा
मे कैलशियम का होना है | मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिक
मात्रा मे कैलशियम है लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है वो अलग बात हे| इसलिए आप चुना खाना बंद कर दीजिए
पत्थर चट्टा का एक भी पत्ता ज़मीन पर गिर जाने से उसमे 30--40 नये पौधे उग जाते है खाने में
स्वादिष्ट खट्टा नमकीन होता है ध्यान दे
यदि आप ईसे खा रहे है तो ईसे खाने के बाद एक घंटे तक ना कुछ खाए ओर ना ही कुछ पिए
ओर ऐसा सुबह खाली पेट ही
पत्थरचट्टा के २-३ पत्तो को अच्छी तरह से धोकर शुबह खली पेट
पानी के साथ चबा कर ले कुछ देणो मैं ही आपकी पथरी निकल जाएगी
* इसकी पत्ती का रस पैरों पर calluses
के इलाज के लिए प्रयोग
किया जाता है।
यह एक पौधा होता है. जिसे हिंदी में पत्थरचट्टा भस्मपथरी
आदि नामों से जाना जाता है. यह पौधा हमारे भारत देश में सभी जगह पर देखने को मिल
जाता है. जी हां इस पौधे से आप अपने अंदर की पथरी को बिल्कुल खत्म कर सकते हैं. तो
चलिए जानते हैं इस पौधे का हमें किस तरह से सेवन करना चाहिए.
पथरी की दवा
अगर आपके पेट में पथरी है तो आपको कुछ परहेज करना होगा. अगर
आप परहेज नहीं करते हैं. तो आपके अंदर की पथरी खत्म नहीं हो सकती है. शरीर में
पथरी है तो चुना कभी नहीं खाना चाहिए. काफी लोग पत्थरचट्टा को पान में डाल कर खा
जाते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर में
अधिक मात्रा में कैल्शियम का होना होता है. मतलब जिनके शरीर में पथरी हुई है उनके
शरीर में जरूरत से अधिक मात्रा में कैल्शियम है और लेकिन वह शरीर में पूरी तरह से
पच नहीं पा रहा है. तो जान लेते है किस तरह से आप पत्थरचट्टा के पत्तों को खाकर
अपनी पत्नी को खत्म कर सकते हैं.
प्रयोग बिधि –
सबसे पहले पेड़ से 2 पत्ते आपको हर रोज तोड़ने हैं और इन
दोनों पत्तो को अच्छे से धो लेना है और सुबह खाली पेट चबा कर खा लेना है. अगर आपको
पत्ते चबाने में कोई प्रॉब्लम आ रही है तो आप गर्म पानी का भी सेवन कर सकते हैं.
एक हफ्ते के अंदर पथरी की समस्या आपके शरीर से काफी हद तक खत्म हो जाएगी.
अगर आपके घर में यह पेड़ नहीं है. तो आप किसी अन्य पेड़ से
एक पत्ता तोड़ कर जमीन में डाल दें. उस पत्ते से कुछ दिनों के बाद आपके पास बहुत
सारे पौधे अपने आप लोग जाएंगे. पत्थरचट्टा का स्वाद खट्टा नमकीन होता है
आशा करते हैं आप को जानकारी अच्छे से समझ में आ गई होगी.
अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी है तो आप अपने दोस्तों पर शेयर करना बिलकुल ना
भूलें |
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